8 मार्च - विश्व महिला दिवस

लाखों-करोड़ों महिलाओं की एक ही माँग -
निर्दोष बापूजी को रिहा करो ।
हमारी भारतीय सनातन संस्कृति की महानता को पूरे विश्व ने सदैव स्वीकार किया है । इतिहास साक्षी है कि हमारी सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए विदेशी आक्रमण हुए परन्तु कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा… अगर हमारी संस्कृति जीवंत है तो वह हमारे ऋषि-मुनियों व संतों की बदौलत ही है ।
अब तो हद हो गई...
यह एक विडम्बना ही है कि जिन संतों ने समाज के सभी वर्गों में प्रेम, शांति, सद्भाव एवं आध्यात्म का संचार किया है तथा भारत की राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है, उनको राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है । निर्दोष संतों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने के जघन्य अपराध हो रहे हैं । प्रचार माध्यमों का दुरुपयोग कर उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास हो रहे हैं ।

संस्कृति रक्षा अभियान
प्रचार सामग्री
लाखों-करोड़ों महिलाओं की एक ही माँग - निर्दोष बापूजी को रिहा करो ।
हमारी भारतीय सनातन संस्कृति की महानता को पूरे विश्व ने सदैव स्वीकार किया है । इतिहास साक्षी है कि हमारी सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए विदेशी आक्रमण हुए परन्तु कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा… अगर हमारी संस्कृति जीवंत है तो वह हमारे ऋषि-मुनियों व संतों की बदौलत ही है ।
यह एक विडम्बना ही है कि जिन संतों ने समाज के सभी वर्गों में प्रेम, शांति, सद्भाव एवं अध्यात्म का संचार किया है तथा भारत की राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है, उनको राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है । निर्दोष संतों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने के जघन्य अपराध हो रहे हैं । प्रचार माध्यमों का दुरुपयोग कर उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास हो रहे हैं ।
- कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वतीजी को एक झूठे केस में फँसाकर कारावास में डाल दिया गया था, 9 वर्षों के बाद सर्वोच्च न्यायालय से उनको आदरपूर्वक बरी किया गया । क्या उनके द्वारा जेल में बिताया गया समय वापिस मिल पाया ? क्या उनके सान्निध्य से वंचित समाज को हुई हानि की भरपाई हो पाई ? आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ?
- इसी प्रकार से साध्वी प्रज्ञाजी व अन्य संतों को झूठे व बेबुनियाद मामलों में फँसाकर भारतीय संस्कृति को कमजोर करने की पुरजोर कोशिश की गई ।
- इतना ही नहीं, पिछले 60 से भी अधिक वर्षों से जिन्होंने समाज व देश में संयम, सदाचार, सत्य, धर्म, शांति, मानवता व नैतिक मूल्यों की पुनःस्थापना की है व आध्यात्मिक क्रांति का उद्घोष किया है, जिनकी प्रेरणा व मार्गदर्शन से चल रहे अनेकविध सेवाकार्यों ने कई सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक समस्याओं का असरकारक समाधान दिया है, जिनके प्रवचनों व सेवाकार्यों से किसी मत-पंथ-संप्रदाय-जाति के भेदभाव के बिना देश-विदेश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं, ऐसे करोड़ों लोगों की श्रद्धा के केन्द्र व निष्काम कर्मयोग के प्रणेता पूज्य संत श्री आशारामजी बापू को भी षड्यंत्र के तहत झूठे आरोपों में फँसाकर आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है । परिणामस्वरूप समाजोत्थान के सेवाकार्यों में व्यवधान उत्पन्न होने से समाज को जो हानि हुई है, उसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो पाएगी ।
यह बहुत ही चिंताजनक है कि कई गंभीर रोगों से ग्रस्त 86 वर्षीय पूज्य बापूजी को इतने लम्बे अंतराल में कभी कोई राहत नहीं दी गई । उनकी धर्मपत्नी का स्वास्थ्य कई गंभीर बीमारियों की वजह से अत्यंत खराब होने पर भी उन्हें एक दिन की भी जमानत, पैरोल या फर्लो तक भी नहीं दी गयी ।
जब गत वर्ष पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था और जोधपुर कारावास में 1500 कैदियों के बीच रहने के कारण बापूजी को कोरोना संक्रमण ने भी अपने चपेट में ले लिया था । जोधपुर के AIIMS हॉस्पिटल में उपचार के दौरान बापूजी का Hb मात्र 3.7 रह गया था । ऐसी परिस्थिति में भी उन्हें बेल नहीं दी गयी ।
अभियान का उद्देश्य -
- गौ-गीता व गंगा का संवर्धन व सुप्रचार करना ।
- हमारी महान सनातन संस्कृति की महिमा भूल रहे समाज को जागृत करना ।
- भारतीय सनातन संस्कृति के मूल स्तंभ संतों-महापुरुषों के सम्मान के रक्षार्थ आवाज उठाना ।
- सुषुप्त हिन्दु समाज को सनातन संस्कृति रक्षार्थ संगठित करना ।
- नारी को उसका गौरवमयी इतिहास याद दिला उसे उसकी महिमा व अस्मिता से अवगत कराकर पुनः उसी ऊँचाई पर प्रतिष्ठित करना ।