
विजयी होने का संदेश देती – विजयादशमी
विजयी होने का संदेश देती है – विजयादशमी लौकिक विजय वही होती है जहाँ पुरुषार्थ और चेतना होती है। आध्यात्मिक

कैसे करें बच्चों में भगवद्भक्ति का सिंचन ?
कैसे करें बच्चों में भगवद्भक्ति का सिंचन ? माता को शिशु का प्रथम गुरु कहा गया है । हमारे सत्शास्त्रों

हथेलियों में सर्वरोगनिवारक शक्ति
हथेलियों में सर्वरोगनिवारक और सौन्दर्यवर्धक शक्ति शरीर के किसी भी अंग की पीड़ा में चमत्कारिक, पीड़ानिवारक, स्वास्थ्य एवं सौंदर्यवर्धक स्पर्श

त्वचा की देखभाल
त्वचा की देखभाल त्वचा की कान्ति पहला प्रयोगः नींबू का रस एवं छाछ समान मात्रा में मिलाकर लगाने से धूप

बालों की देखभाल
काले–घने बालों के लिए चारोली का तेलबालों को काला करने के लिए उपयोगी है। नींबू के ताजे छिलकों को नारियल

आँखों की देखभाल
आँखों की देखभाल आँखों के नीचे कालापनः आँखों के नीचे का कालापन हटाने हेतु ककड़ी की फाँक और आलू के

घर में सुख-शांति के लिए
क्या करें घर में सुख-शांति के लिए वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित

अशुभ क्या है ?
क्या है अशुभ ? बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराणः पूर्व भागः 26.32) कुत्ता

थोड़ी सी सावधानी न होगी हानि
थोड़ी सी सावधानी न होगी हानि घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए रोज पोंछा लगाते समय पानी में थोड़ा

ईशान- स्थल की महत्ता
ईशान- स्थल की महत्ता कमरे की पूर्वी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग व उत्तरी दीवाल की लम्बाई का

नैऋत्य स्थल की महत्ता
नैऋत्य स्थल की महत्ता ईशान रखें नीचा, नैऋत्य रखें ऊँचा । यदि चाहते हो वास्तु से अच्छा नतीजा ।। किसी

क्या है ब्रह्मस्थान ?
पारिवारिक एकता हेतु महत्वपूर्ण : ब्रह्मस्थान भूखंड को लम्बाई व चौड़ाई में आठ- आठ समान भागों में विभक्त करने से

वसंत ऋतुचर्या
वसंत ऋतुचर्या वसंत ऋतु की महिमा के विषय में कवियों ने खूब लिखा है। गुजराती कवि दलपतराम ने कहा हैः

वसन्त ऋतु में आहार-विहार
वसन्त ऋतु में आहार-विहार आहार – इस ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते

ग्रीष्मजन्य व्याधियों के उपाय
ग्रीष्मजन्य व्याधियों के उपाय सर्वांग दाह : शतावरी चूर्ण (२ से ३ ग्राम) अथवा शतावरी कल्प (१चम्मच) दूध में

वर्षा ऋतुचर्या
वर्षा ऋतुचर्या वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के

शरद ऋतुचर्या
शरद ऋतुचर्या भाद्रपद एवं आश्विन ये शरद ऋतु के दो महीने हैं। शरद ऋतु स्वच्छता के बारे में सावधान रहने

शीत ऋतुचर्या
शीत ऋतुचर्या शीत ऋतु के अंतर्गत हेमंत और शिशिर ऋतु आते हैं। यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अंतकाल कहलाती

हेमन्त और शिशिर की ऋतुचर्या
हेमन्त और शिशिर की ऋतुचर्या शीतकाल आदानकाल और विसर्गकाल दोनों का सन्धिकाल होने से इनके गुणों का लाभ लिया जा

विविध व्याधियों में आहार-विहार
विविध व्याधियों में आहार-विहार तैत्तीरीय उपनिषद के अनुसारः ‘अन्नं हि भूतानां ज्येष्ठम्-तस्मात् सर्वौषधमुच्यते ।’

स्वास्थ्य उपयोगी बातें
स्वास्थ्य उपयोगी बातें घी, दूध, मूँग, गेहूँ, लाल साठी चावल, आँवले, हरड़े, शुद्ध शहद, अनार, अंगूर, परवल – ये सभी

कुछ उपयोगी बातें
कुछ उपयोगी बातें आरती के समय कपूर जलाने का विधान है । घर में नित्य कपूर जलाने से घर का

ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ? चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना

धन-सम्पत्ति के लिए क्या करें ?
धन-सम्पत्ति के लिए क्या करें ? घर के अंदर, लक्ष्मी जी बैठी हों ऐसा फोटो रखना चाहिए और दुकान के

तिथि अनुसार आहार-विहार
तिथि अनुसार आहार-विहार एवं आचार संहिता प्रतिपदा को कूष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला

विरुद्ध आहार के नुकसान
स्वास्थ्य का दुश्मन विरुद्ध आहार जो पदार्थ रस-रक्तादि धातुओं के विरुद्ध गुणधर्मवाले व वात-पित्त-कफ इन त्रिदोषों को प्रकुपित करने वाले

मिल का आटा नुकसानदेह
मिल का आटा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आजकल बड़ी-बड़ी मिलों से बनकर आने वाले आटे का उपयोग अधिक होता है

चोकरयुक्त आटा
स्वास्थ्यवर्धक चोकरयुक्त आटा प्रायः लोग खाना बनाते समय आटे को छानकर चोकर फेंक देते हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं

भोजन-पात्र
भोजन-पात्र विवेक क्यों है जरुरी भोजन को शुद्ध, पौष्टिक, हितकर व सात्त्विक बनाने के लिए हम जितना ध्यान देते हैं

खरबूजा
गर्मियों का गुणकारी फलः खरबूजा खरबूजा गर्मियों का एक गुणकारी फल है । यह शरीर में पानी की कमी को

अमृतफल बेल
अमृतफल बेल बेल या बिल्व का अर्थ है : रोगान् बिलाति भिनत्ति इति बिल्व: । अर्थात् जो रोगों का

आम
आम पका आम खाने से सातों धातुओं की वृद्धि होती है। पका आम दुबले पतले बच्चों, वृद्धों व कृश लोगों

ईख (गन्ना)
ईख (गन्ना) आजकल अधिकांश लोग मशीन या ज्यूसर आदि से निकाला हुआ रस पीते हैं। सुश्रुत संहिता के अनुसार यंत्र


धनिया
धनिया धनिया सर्वत्र प्रसिद्ध है। भोजन बनाने में इसका नित्य प्रयोग होता है। सब्जी, दाल जैसे खाद्य पदार्थों में काटकर

नींबू
नींबू गुणों की दृष्टि से बहुत अधिक लाभकारी है। गर्मी के मौसम में नींबू का शरबत बनाकर पिया जाता है।

पुदीना
पुदीना पुदीने का उपयोग अधिकांशतः चटनी या मसाले के रूप में किया जाता है। पुदीना एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि

स्वास्थ्यवर्धक फालसा
स्वास्थ्यवर्धक फालसा फालसा स्निग्ध, मधुर, अम्ल और तिक्त है। कच्चे फल का पाक खट्टा एवं पके फल का विपाक मधुर,

कच्चे आम का शरबत (पना)
कच्चे आम का शरबत (पना) बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते

नींबू का शरबत
नींबू का शरबत बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं

इमली का शरबत
इमली का शरबत बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं

द्राक्ष का शरबत
द्राक्ष का शरबत बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं

अनार का शरबत
अनार का शरबत बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं

गुलाब शरबत
गुलाब शरबत बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं हैं

स्वास्थ्यवर्धक सोंठ
सोंठ के लाभ अदरक का छिलका हटाकर उसे १०-१२ दिन धूप में सुखाने से सोंठ बन जाता है । अदरक

शरीर की जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या
शरीर की जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या हमारे ऋषियों, आयुर्वेदाचार्य ने जो जल्दी सोने-जागने एवं आहार-विहार की बातें बतायी है,

दंत-सुरक्षा के उपाय
दंतधावन व दंत-सुरक्षा मौन रहकर नित्य दंतधावन करे। दंतधावन किये बिना देवपूजा व संध्यान करे। (महाभारत, अनुशासन पर्व) बेर की

प्रातः-जागरण
बापू जी ने प्रातः-जागरण को साधनामय बनाना सिखाया हमारी दिनचर्या का प्रारम्भ प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में जागरण से होता है। शास्त्रों

प्रातःकालीन भ्रमण
प्रातःकालीन भ्रमण क्यों है लाभकारी ? प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का

शौच-विज्ञान
क्या है शौच-विज्ञान का रहस्य शौच का अर्थ है शुद्धि। शुद्धि दो प्रकार की होती हैः आंतर शुद्धि और