‘श्रीविष्णुसहस्त्रनाम, गजेन्द्रमोक्ष, दुर्गा सप्तशती’ आदि का पाठ दु: स्वप्ननाशक होता है ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं दुर्गतिनाशिन्यै महामायायै स्वाहा ।
इस मंत्र को पवित्र होकर १० बार जपने से दु: स्वप्न सुखप्रद हो जाता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं., उत्तरार्ध: ८२.५२)
आसुरी वृत्तियों से बचाव का मंत्र
ॐ नमो नन्दीश्वराय ।
- रात्रि में सोते समय इस मंत्र का जप करने से भूत- प्रेत एवं आसुरी, मलिन वृत्तियों का भय नहीं रहता ।
शनि-ग्रह पीड़ा से रक्षा हेतु मंत्र –
“अद्यप्रभृति बालानां वर्षादाषोडशाद् ग्रह ।
पीड़ा त्वया न कर्तव्या एष मे समयः कृतः । ।” (स्कंद पुराण, रेवा खंड: ४२.३५)
‘शिवपुराण’ में आता है की गाधी, कौशिक तथा महामुनि पिप्पलाद- इन मुनित्रय का स्मरण करने से शनिग्रह कृत पीड़ा दूर हो जाती है ।
केस की फाईल ईशान कोण में रखकर हनुमानजी का स्मरण करें :
किसीका कोर्ट- कचहरी का केस चल रहा हो तो उसकी फाईल ईशान कोण में रखकर प्रतिदिन हनुमानजी का स्मरण करना चाहिए ।
‘पवन तनय बल पवन समाना, बुधि बिवेक बिज्ञान निधाना’, मंत्र का नित्य जप करने से उसमें सफलता मिलती है ।
कुबेर का सर्वदारिद्र्यनाशक मंत्र
विनियोग : अस्य श्री कुबेरमन्त्रस्य विश्रवाॠषिबृहतीच्छन्द: शिवमित्रधनेश्वरी देवतात्मनोभीष्टसिद्ध्यर्थ जपे विनियोग: ।
मंत्र: ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लिं श्रीं क्लिं वित्तेश्वराय नमः ।
शिवमंदिर में बैठकर श्रद्धापूर्वक इस मंत्र के १० हजार जप करने से धन की वृद्धि होती है | बेल के वृक्ष के नीचे बैठकर इस मंत्र के एक लाख जप करने से धन- धान्य, रूप व समृद्धि प्राप्त होती है ।(मंत्रमहोदधि)
बोधायन ऋषि प्रणीत :- दरिद्रतानाशक प्रयोग
२८दिन (४सप्ताह) तक सफेद बछड़ेवाली सफेद गाय के दूध की खीर बनायें | खीर बनाते समय दूध को ज्यादा उबालना नहीं चाहिए | चावल पानी में पकायें, फिर दूध डालकर एक- दो उबाल दे दें | उसखीर का सूर्यनारायण को भोग लगायें | सूर्यनारायण का स्मरण करें और खीर को देखते- देखते एक हजार बार ॐ कार का जप करें | फिर स्वयं भोग लगायें | जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें :
ॐकार मंत्र:,गायत्री छंद:,भगवाननारायणऋषि:,अंतर्यामीपरमात्मादेवता, अंतर्यामीप्रीत्यर्थे,परमात्मप्राप्तिअर्थेजपेविनीयोग: ।
इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख- सम्पदा की प्राप्ति होगी ।
अति-निद्रा को कम करने का मंत्र-
‘ॐ नमो नृसिंह निद्रा स्तंभनं कुरु कुरु स्वाहा ।‘ इस मंत्र का एक माला जप करें ।
ॐ नमो भगवते रू रू भैरवाय भूतप्रेत क्षय कुरू कुरू हूं फट् स्वाहा ।
विधिः एक कटोरी में भरे हुए शुद्ध जल को निहारते हुए इस मंत्र का दस हजार जप करें । वह जल भूतप्रेतादि से प्रभावित व्यक्ति को पिला देने से भूतप्रेतादि भाग जायेंगे । एक ही स्थान में बैठकर एक ही समय में मंत्रजप करने से अधिक लाभ होगा ।
लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः
दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की मालायें जपें।
ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।
अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।
दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की सचोट साधना विधियाँ –
सामग्री – दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र, धूप, अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र ।
विधि – साधक अपने सामने गुरुदेव या लक्ष्मी जी की फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र (रक्त कन्द) बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें । उस पर केशर से सतिया बना लें तथा कुमकुम से तिलक कर दें । बाद में स्फटिक की माला से मंत्र की सात मालायें करें । तीन दिन ऐसा करना योग्य है । इतने से ही मंत्र साधना सिद्ध हो जाती है । मंत्र जप पुरा होने के पश्चात लाल वस्त्र में शंख को बाँधकर घर में रख दें । जब तक वह शंख घर मे रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।
मंत्र – ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः ।
दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल एवं त्रिदिवसीय उपाय यह भी है कि दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाई दूज तक स्वच्छ कमरे में धूप, दीप, व अगरबत्ती जलाकर शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केशर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो दो मालायें जपें –
ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।
( दीपावली लक्ष्मी जी का जन्मदिवस है । समुद्र मंथन के दौरान वे क्षीरसागर से प्रकट हुई थी, अतः घर में लक्ष्मी जी के वास, दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करने वाले पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। )
स्थिर लग्न में, स्थिर मुहूर्त में जप धन को स्थिर करता है । दिवाली की रात लक्ष्मीप्राप्ति के लिए स्थिर लग्न माना गया है । लक्ष्मीप्राप्ति के लिए जापक को पश्चिम की तरफ मुँह करके बैठना चाहिए । पश्चिमे च धनागमः ।
तेल का दीपक व धूपबत्ती लक्ष्मीजी की बायीं ओर, घी का दीपक दायीं ओर एवं नैवेद्य आगे रखा जाता है । लक्ष्मीजी को तुलसी, मदार (आक) या धतूरे का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए, नहीं तो हानि होती है ।
- लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए काली चौदस की रात्रि में श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।‘ मंत्र का जप करने से लाभ होता है। परमात्मप्राप्ति की इच्छावाले को काली चौदस की रात्रि में श्रद्धा एवं तत्परता से ॐ का, अपने गुरुमंत्र का अर्थसहित जप करना चाहिए।
‘ॐ ह्रीं गौर्ये नम: ।’ – इसके जिह्वाग्र पर लेखन से (अथवा जप से भी) कवित्वशक्ति प्रस्फुटित होती है | (अग्नि पुराण :३१३.१९,२२ )
धन व विद्या प्रदायक मंत्र
श्रीहरि भगवान सदाशिव से कहते हैं : “हे रूद्र ! भगवान श्री गणेश का यह मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नम:|’ धन और विद्या प्रदान करनेवाला है | १०० बार इसका जप करनेवाला प्राणी अन्य लोगों का प्रिय बन जाता है |” (गरुड़ पुराण, आचार कांड, अध्याय:१८५ )
वह अन्य लोगों का प्रिय तो होगा किंतु ईश्वर का प्रिय होने के लिए जपे तो कितना अच्छा ।