नारी-शक्ति की वास्तविक महिमा को पुनः उजागर करना । युवतियों व नारियों में संयम, सदाचार, सच्चरित्रता, सेवानिष्ठा, निर्भयता, आत्मविश्वास आदि दैवी गुणों द्वारा उनकी दिव्यता को जगाना ।

नारी-शक्ति की वास्तविक महिमा को पुनः उजागर करना । युवतियों व नारियों में संयम, सदाचार, सच्चरित्रता, सेवानिष्ठा, निर्भयता, आत्मविश्वास आदि दैवी गुणों द्वारा उनकी दिव्यता को जगाना ।
महिलाओं एवं युवतियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का समाधान प्रदान कर उनके मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक - सर्वांगीण विकास हेतु मार्गदर्शन देना ।
महिलाओं को सफलता के सूत्र बताकर उन्नति के पथ पर अग्रसर करना ।
ब्रह्मवेत्ता संत-महापुरुषों के सत्संग एवं सत्शास्त्रों के स्वाध्याय द्वारा विवेक-जागृति ।
माताओं द्वारा बच्चों में गर्भकाल एवं शिशुकाल से ही सुसंस्कारों का सिंचन कराके उन्नत एवं प्रतिभासम्पन्न भावी पीढ़ी का निर्माण ।
महिलाओं को पारिवारिक उन्नति का मार्गदर्शन देकर परिवार में सुख-शांतिमय वातावरण का निर्माण करना ।
भ्रूणहत्या (गर्भपात), सिजेरियन डिलीवरी जैसी सामाजिक कुरीतियों का समाज से उन्मूलन ।
भगवत्प्राप्त ऋषि-मुनियों, संतों द्वारा प्रणीत भारतीय संस्कृति की सर्वहितकारी परम्पराओं की महिमा का प्रचार-प्रसार ।
जीवन को ओजस्वी-तेजस्वी बनाने हेतु मार्गदर्शन ।
महिलाओं को निष्काम सेवा एवं साधना के पथ पर आगे बढ़ाते हुए मनुष्य-जीवन के परम लक्ष्य ‘परमात्म-साक्षात्कार’की ओर, परमानंद की प्राप्ति की ओर अग्रसर करना ।