Skip to content

Mahila Utthan Mandal

  • Home
  • About Us
    • The Beginning
    • Our motive
  • Role of Women
    • Great women
      • Brahmvadini woman
      • Brave woman
      • Sati women
      • Devotional women
    • Real Education
      • Humbleness
      • Vedant in life
      • Awakening of wisdom
      • Character building
      • What is independence
      • real beauty
    • Moral values
    • Duties
      • marriage life
      • That time
      • Celibacy
      • Balanced life
    • Faces of woman
      • Ideal mother
      • Ideal wife
      • Ideal daughter-in-law
      • Employed women
      • Ideal sister
    • Ideal home
    • Poetries
  • Empowerment
    • Physical
      • Yogasan
      • Sooryopasana
      • Pranayama
      • mudra
      • Yogic Practices
    • spiritiual
      • trikal sandhya
      • Omkar gunjan
      • jap
      • Trataka
      • Power of Silence
      • Meditation
      • ajapa jap
      • swadhyay
      • satsang shrawan
      • Aura
      • aatmgyan
      • yogic chakras
      • glory of satguru
    • Cultural
      • Gau-Gita-Ganga
      • basic facts
      • Our Festivals
  • keys of life
    • self care
    • Kitchen tips
    • Useful tips
    • Family care
    • Vastu tips
    • Beauty tips
  • Our Wings
    • Chalen Swa ki or
    • Divya shishu sanskar
    • anti abortion
    • Tejaswini Bhav
    • celebrating raksha bandhan
    • prisnors upliftment
    • environmental programs
    • aadhyatmik jagran
    • nar sewa narayan sewa
    • Sharbat/Chhas vitran
    • sanskriti raksha abhiyan
      • 8 March – World Women Day
    • anya sewakarya
  • multimedia
    • Sewa glimpse
    • image gallery
    • Videos
    • Testimonials
    • press coverage
  • our products
  • Contact us
Menu
  • Home
  • About Us
    • The Beginning
    • Our motive
  • Role of Women
    • Great women
      • Brahmvadini woman
      • Brave woman
      • Sati women
      • Devotional women
    • Real Education
      • Humbleness
      • Vedant in life
      • Awakening of wisdom
      • Character building
      • What is independence
      • real beauty
    • Moral values
    • Duties
      • marriage life
      • That time
      • Celibacy
      • Balanced life
    • Faces of woman
      • Ideal mother
      • Ideal wife
      • Ideal daughter-in-law
      • Employed women
      • Ideal sister
    • Ideal home
    • Poetries
  • Empowerment
    • Physical
      • Yogasan
      • Sooryopasana
      • Pranayama
      • mudra
      • Yogic Practices
    • spiritiual
      • trikal sandhya
      • Omkar gunjan
      • jap
      • Trataka
      • Power of Silence
      • Meditation
      • ajapa jap
      • swadhyay
      • satsang shrawan
      • Aura
      • aatmgyan
      • yogic chakras
      • glory of satguru
    • Cultural
      • Gau-Gita-Ganga
      • basic facts
      • Our Festivals
  • keys of life
    • self care
    • Kitchen tips
    • Useful tips
    • Family care
    • Vastu tips
    • Beauty tips
  • Our Wings
    • Chalen Swa ki or
    • Divya shishu sanskar
    • anti abortion
    • Tejaswini Bhav
    • celebrating raksha bandhan
    • prisnors upliftment
    • environmental programs
    • aadhyatmik jagran
    • nar sewa narayan sewa
    • Sharbat/Chhas vitran
    • sanskriti raksha abhiyan
      • 8 March – World Women Day
    • anya sewakarya
  • multimedia
    • Sewa glimpse
    • image gallery
    • Videos
    • Testimonials
    • press coverage
  • our products
  • Contact us

बापू जी ने प्रातः-जागरण को साधनामय बनाना सिखाया

  • हमारी दिनचर्या का प्रारम्भ प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में जागरण से होता है।
  •  शास्त्रों की आज्ञा हैः ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्यते। ‘प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।’
  • ब्राह्ममुहूर्त में उठने की महिमा बताते हुए पूज्य बापू जी कहते हैं-“जो सूर्योदय से पहले (ब्राह्ममुहूर्त में) शय्या त्याग देता है, उसके अंतःकरण में सत्त्व गुण पुष्ट होता है। वह बड़ा तेजस्वी होता है, उसके ओज-वीर्य की रक्षा होती है और बुद्धिशक्ति बढ़ती है।
  • आध्यात्मिक साधना में आगे बढ़ना है तो सूर्योदय से सवा दो घंटे पहले जब ब्राह्ममुहूर्त शुरु होता है, तब उठो या फिर चाहे एक घंटा पहले उठो।

सुधा सरस वायु बहे, कलरव करत विहंग । अजब अनोखा जगत में, प्रातः काल का रंग ।।

  • जब चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों और सूर्य की किरणें अभी धरती पर नहीं पड़ी हों, ऐसी संध्या की वेला में सभी मंत्र जाग्रत अवस्था में रहते हैं। उस समय किया हुआ जप-प्राणायाम अमिट फल देता है। दृढ़ इच्छाशक्ति, रोग मिटाने तथा परमात्माप्राप्ति के लिए 40 दिन का प्रयोग करके देखो। यह अमृतवेला है। जिसे वैज्ञानिक सूर्योदय के पहले के हवामान में ओजोन और ऋण आयनों की विशेष उपस्थिति कहते हैं, इसी को शास्त्रकारों ने सात्त्विक, सामर्थ्यदाता वातावरण कहा है। अतः अमृतवेला का लाभ अवश्य लें। प्रातः 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करने से बहुत लाभ होते हैं।

           ब्राह्ममुहूर्त में सोये पड़े रहने के दुष्परिणाम

  • जो सूर्योदय से पूर्व नहीं उठता, उसके स्वभाव में तमस छा जाता है। जीवन की शक्तियाँ ह्रास होने का और स्वप्नदोष व पानी पड़ने की तकलीफ होने का समय प्रायः रात्रि के अंतिम प्रहर में होता है। अतः प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए, जिससे शरीर में रज-वीर्य का ऊर्ध्वगमन हो, बुद्धि प्रखर हो तथा रोगप्रतिकारक शक्ति सुरक्षित रहे।”

           ब्राह्ममुहूर्त में उठने का सरल उपाय

  • बिना किसी की सहायता के प्रति दिन ब्राह्ममुहूर्त में उठ जाने के लिए एक छोटी सी युक्ति पूज्य बापू जी बताते हैं-“अलार्म घंटी बजा सकता है, पत्नी कम्बल हटा सकती है लेकिन नींद से तुम्हें जगाने का काम तो तुम्हारे सच्चिदानंद परमात्मा ही करते हैं। अतः तुम रात्रि में सोते समय उन्हीं की स्मृति में जाओ। उनमें प्रेमभाव करते होना चाहिए। उन्हीं से प्रार्थना करो, दृढ़ संकल्प करो।
  • यदि सुबह आपकी नींद नहीं खुलती है अथवा अपने आप नहीं उठ सकते हैं तो रात को सोते समय अपनी परछाई को 3 बार बोल दो कि’मुझे 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करने हैं, तुम मुझे 4-4.30 बजे जगा देना।’ है तो तुम्हारी छाया लेकिन ऐसा कहोगे तो नींद खुल जायेगी। फिर उस समय आलस्य नहीं करना। अपने कहे अनुसार संकल्प फल गया तो उसका फायदा उठाओ।
  • यदि आपने इस युक्ति का आश्रय लिया और आलस्य का त्याग किया तो फिर कुछ दिनों में आप बिना किसी की सहायता के स्वयं उठने लगोगे।”

            नींद खुलते ही तुरंत मत उठो

  • प्रातः जागरण जैसा होता है, वैसा पूरा दिन गुजरता है। जागरण के समय को भगवन्मय बना लिया तो पूरा दिन आनंदमय बन जायेगा। शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न तथा जीवन को रसमय, आनंदमय बनाकर परमात्मप्राप्ति की सुंदर युक्ति पूज्य बापू जी ने बतायी है-“नींद पूरी होती है, उस समय विश्रांति में होते हैं। स्फुरण नहीं होता। फिर धीरे से रसमय स्फुरण होता है, प्रगाढ़ स्फुरण होता है, फिर संकल्प होता है और संसार की दौड़-धूप में हम लगते हैं। अतः सुबह नींद में से चटाक् से मत उठो, पटाक् से घड़ी मत देखो। नींद खुल गयी, आँख न खुले, आँख खुल जाये तो तुरंत बंद कर दो, थोड़ी देर पड़े रहो। फिर जहाँ से हमारी मनः वृत्ति स्फुरित होती है, उस चैतन्यस्वरूप परमात्मा में, उस निःसंकल्प स्थिति में शांत हो जाओ। एक से दो मिनट कोई संकल्प नहीं। फिर जैसे बच्चा माँ की गोद में से उठता है, कैसा शांत! ऐसे हम परमात्मा की गोद से बाहर आयें- ‘ॐ शांति…. प्रभु की गोद में से मैं बाहर आ रहा हूँ। मेरा मन बाहर आये उससे पहले मैं फिर से मन सहित प्रभु के शांतस्वरूप, आनंदस्वरूप में जा रहा हूँ, ॐ शांति, ॐ आनंद…..’ ऐसा मन से दोहराओ। आपका हृदय बहुत पवित्र होगा। 

           आत्मशक्ति से शरीर, मन, बुद्धि को पुष्ट करो

  • फिर लेटे-लेटे शरीर को खींचो। 2 मिनट खूब खींच-खींच के 2 मिनट ढीला छोड़ो ताकि आत्मा की शक्ति तुम्हारे शरीर, मन और बुद्धि में ज्यादा से ज्यादा आये। बूढ़े शरीर खींचेंगे तो बुढ़ापे की कमजोरी ज्यादा नहीं रहेगी और बच्चे खींचेंगे तो जीवन उत्साह एवं स्फूर्ति से भर जायेगा। तत्पश्चात बिस्तर में शांत बैठकर आत्मचिंतन करो-“मैं पाँच भूतों से बना हुआ शरीर नहीं हूँ। जो सत् है, चित् है, आनंदस्वरूप है और मेरे हृदय में स्फुरित हो रहा है, जो सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार का कारण है और मेरे शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और लय का कारण है, उस सच्चिदानंद का मैं हूँ और वे मेरे हैं। ॐ शांति, ॐ आनंद…..’ 2-5 मिनट इस प्रकार तुम नींद में से उठ के शांत रहोगे तो मैं कहूँगा कि 2 दिन की तपस्या से वे 2 मिनट ज्यादा फायदा करेंगे, पक्की बात है !
  • अथवा आप यदि अपने जीवन में उन्नति चाहते हो तो सुबह नींद से उठकर शांत हो के बैठ जाओ।’भगवान मैं तुम्हारा हूँ, तुम मेरे हो’ ऐसा करके 5-7 मिनट बिस्तर पर ही बैठो। कुछ नहीं करना, सिर्फ इस बात को पकड़ के बैठ जाओ कि मैं भगवान का हूँ और भगवान मेरे हैं।? शांति, ॐ आनंद…..” 

            सुबह उठकर पाँच आहुतियाँ दो

  • 5 क्लेश व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्कर में भटकाते हैं, इनको दूर करने का सरल उपाय तत्त्ववेत्ता पूज्य बापू जी बताते हैं-“आपकी नाभि जठराग्नि का केन्द्र है। अग्नि नीचे फैली रहती है और ऊपर लौ होती है। तो जठराग्नि की जगह पर त्रिकोण की भावना करो और चिंतन करो, ‘अविद्यमान वस्तुओं को, अविद्यमान परिस्थितियों को सच्चा मानकर जो भटकान कराती है, उस अविद्या को मैं जठराग्नि में स्वाहा करता हूँ।अविद्यां जुहोमि स्वाहा। अस्मिता है देह को मैं मानना। तो अस्मितां जुहोमि स्वाहा। मैं अस्मिता को अर्पित करता हूँ। द्वेषं जुहोमि स्वाहा। द्वेष को भी मैं अर्पित करता हूँ। फिर आखिरी पाँचवाँ क्लेश आता है अभिनिवेश – मृत्यु का भय। मृत्यु का भय रखने से कोई मृत्यु से बचा हो यह मैंने आज तक नहीं देखा-सुना, अपितु ऐसा व्यक्ति जल्दी मरता है। अतः अभिनिवेशं जुहोमि स्वाहा। मृत्यु के भय को मैं स्वाहा करता हूँ। 

            शशकासन (मत्थाटेक कार्यक्रम) का लाभ लें

  • फिर अपने भगवान या सदगुरुदेव को मन-ही-मन प्रेमपूर्वक प्रणाम करें और उनका मानस-पूजन करें। तत्पश्चात शशकासन में भगवान से प्रार्थना करनी चाहिएः’हे भगवान! मैं आपकी शरण में हूँ। आज के दिन मेरी पूरी सँभाल रखना। दिन भर सदबुद्धि बनी रहे। मैं निष्काम सेवा और तुझसे प्रेम करूँ, सदैव प्रसन्न रहूँ, आपका चिंतन न छूटे….’
  • शशकासन सभी को कम-से-कम 2 मिनट और बच्चे बच्चियों व महिलाओं को 3 मिनट करना ही चाहिए।

           प्रातः उठकर ध्यान करें

  • भारतीय संस्कृति में मानवमात्र के कल्याण के अद्भुत रहस्य छिपे हैं। शास्त्रों का दोहन कर पूज्य बापू जी ने उन रहस्यों से लाभ उठाने की अनुपम युक्तियाँ बतायी हैं। प्रातः उठकर बिस्तर में ही ध्यान करने के अद्भुत लाभ बताते हुए पूज्य बापू जी कहते हैं-
  • यदि ब्राह्ममुहूर्त में 5-10 मिनट के लिए आत्मा-परमात्मा का ठीक स्मरण हो जाय तो पूरे दिन के लिए एवं प्रतिदिन ऐसा करने पर पूरे जीवन के लिए काफी शक्ति मिल जाय।
  • यदि विद्यार्थी ब्राह्ममुहूर्त में उठकर ध्यान करे, सूर्योदय के समय ध्यान करे, ब्रह्मविद्या का अभ्यास करे तो वह शिक्षकों से थोड़ी लौकिक विद्या तो सीखेगा किंतु दूसरी विद्या उसके अंदर से ही प्रकट होने लगेगी। आत्मविद्या, अंतःप्रेरणा, त्रिकालज्ञता, सत्यसंकल्प-सामर्थ्य – ऐसी कई अदभुत योग्यताएँ विकसित होंगी। मैंने एकांत में 40 दिन तक मौन रखा व दूध पर रहकर अनुष्ठान किया तो जो खजाने खुले, वे बाँटते-बाँटते 55 साल हुए लेकिन फिर भी नहीं खूटते। जो योगविद्या और ब्रह्मविद्या में आगे बढ़ते हैं, उनको लौकिक विद्या बड़ी आसानी से प्राप्त होती है। ब्रह्म-परमात्मा को जानने की विद्या को ही ब्रह्मविद्या कहते हैं।
  • ब्रह्मविद्या ब्राह्ममुहूर्त में बड़ी आसानी से फलती है। उस समय ध्यान करने से, ब्रह्मविद्या का अभ्यास करने से मनुष्य बड़ी आसानी से प्रगति कर सकता है।
  • अपना शरीर यदि मलिन लगता है तो ऐसा ध्यान कर सकते हैं-“मेरे मस्तक में भगवान शिव विराजमान है। उनकी जटा से गंगाजी की धारा बह रही है और मेरे तन को पवित्र कर रही है। मूलाधार चक्र के नीचे शक्ति एवं ज्ञान का स्रोत निहित है। उसमें से शक्तिशाली धारा ऊपर की ओर बह रही है एवं मेरे ब्रह्मरंध्र तक के समग्र शरीर को पवित्र कर रही है। श्री सदगुरु के चरणारविंद ब्रह्मरंध्र में प्रकट हो रहे हैं, ज्ञान-प्रकाश फैला रहे हैं।’
  • ऐसा ध्यान न कर सको तो मन से गंगा किनारे के पवित्र तीर्थों पर चले जाओ। बद्री-केदा एवं गंगोत्री तक चले जाओ। उन पवित्र धामों में मन ही मन भावपूर्वक स्नान कर लो। 5-7 मिनट तक पावन तीर्थों में स्नान करने का चिंतन कर लोगे तो जीवन में पवित्रता आ जायेगी। घर-आँगन को स्वच्छ रखने के साथ-साथ इस प्रकार तन-मन को भी स्वस्थ, स्वच्छ एवं भावना के जल से पवित्र करने में जीवन के 5-7 मिनट प्रतिदिन लगा दोगे तो इससे कभी हानि नहीं होगी। इसमें तो लाभ ही लाभ है।
  • रात्रि को दस मिनट तकॐका प्लुत उच्चारण करके सोयें। ऐसे ही सुबह भी ॐ का गुंजन करें तो ॐ का मानसिक जप बढ़ जायेगा। धीरे-धीरे ऐसी आदत पड़ जायेगी कि होंठ, जीभ नहीं हिले और हृदय में जप चलता रहे व मन उसके अर्थ में और रस में उन्नत होता रहे। फिर जप करते-करते उसके अर्थ में ध्यान लगने लगेगा। 

            सुबह उठकर दो बातों को याद करो

  • सुबह उठो तब सबसे पहले परमात्मा को और मौत को याद कर लोः’क्या पता कौन से दिन इस जहाँ से चले जायें! आज सोमवार है, क्या पता कौन से सोमवार को हम चले जायें ! आज मंगलवार है, क्या पता कौन-से मंगलवार को हम विदा हो जायें !…. इन सात दिनों में से कोई-न-कोई दिन होगा मौत का।’

           ऐसा चिंतन करें

  • सुबह उठकर भी यदि सोचते हैं कि’मैं दुःखी हूँ… मेरा कोई नहीं…. मैं लाचार हूँ….’ तो पूरा दिन परेशानी और दुःख में बीतेगा। सुबह उठकर यदि आप यह सोचें कि’दुःख तो बेवकूफी का फल है। चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आज दुःखी होने वाला नहीं। मेरा रब, प्रभु मेरे साथ है। मनुष्य जन्म पाकर भी दुःखी और चिंतित रहना बड़े शर्म की बात है। दुःखी और चिंतित तो वे रहें जिनका आत्मा-परमात्मा मर गया। मेरा आत्मा-परमात्मा तो ऐ रब ! तू मौजूद है न ! प्रभु तेरी जय हो ! ….. आज तो मैं मौज में रहूँगा।’ तो फिर देखो, आपका दिन कैसा गुजरता है।
  • आपका मन कल्पवृक्ष है। आप जैसा दृढ़ चिंतन करते हैं, वैसा होने लगता है। अतः धैर्यपूर्वक चिंतन करें।

         ऐसा पक्का निर्णय करें

 
  • रोज सुबह उठो तब पक्का निर्णय करो कि आज अपने चित्त को प्रसन्न रखूँगा। दो चार मनुष्यों के आँसूँ पोंछूँगा, उनके दुःख दूर करने का प्रयत्न करूँगा और चार मनुष्यों को हँसाऊँगा। फिर पता चलेगा कि बिना स्वार्थ के कर्म करने में कितना आनंद आता है, आंतरिक उन्नति होती है। फिर तो तुम्हारा व्यवहार ही साधना बन जायेगा। नियम से प्रतिदिन प्राणायाम-जप-ध्यान करोगे तो तुम्हारा हृदय खिलेगा।

           आत्मनिर्भरता की बतायी सुंदर युक्तिः करदर्शन

  • प्रातः उठकर करदर्शन करने का शास्त्रीय विधान बड़ा ही अर्थपूर्ण है। इससे मनुष्य के हृदय में आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन की भावना का उदय होता है। करदर्शन की सुंदर युक्ति बताते हुए पूज्य बापू जी कहते हैं-“ध्यान के बाद बिस्तर पर ही तनिक शांत बैठे रहकर फिर अपनी दोनों हथेलियों को देखें और यह श्लोक बोलें-

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्।।


         ‘हथेली के अग्रभाग में लक्ष्मी देवी का निवास है, मध्यभाग में सरस्वती देवी हैं और मूलभाग में भगवान गोविन्द का वास है इसलिए प्रातःकाल में करदर्शन करना चाहिए।’

           इस प्रकार सुबह-सुबह में अपनी हथेलियों को देखकर भगवान लक्ष्मीनारायण का स्मरण करने से अपना भाग्य खुलता है। 

           

        बिन पैसे की दवा

  • भगवान को प्रार्थना करके हाथों की दोनों हथेलियाँ आपस में रगड़ें और मन ही मन भावना करेंॐॐॐ मेरी आरोग्य शक्ति जग रही है। फिर जहाँ भी शरीर में तकलीफ हो, वहाँ हथेलियाँ लगाने से आरोग्य शक्ति की सूक्ष्म तरँगें उसे मिटाने में बड़ी मदद करती हैं। हथेलियाँ रगड़ने से उत्पन्न हुई गर्मी में आरोग्यदात्री शक्ति होती है। जिसको हथेलियों को रगड़ते हुए ॐॐॐ…. करके हाथ मुँह पर घुमाने की युक्ति आ गयी, उसका चेहरा प्रभावशाली हो जाता है। आँखों पर दोनों हथेलियों को रखकर संकल्प करते हैं कि ॐॐॐ मेरी नेत्रज्योति बढ़ रही है तो आँखों की रोशनी बरकरार रहती है, बढ़ती है। माथे पर घुमायें, जहाँ चोटी रखते हैं वहाँ घुमायें और चिंतन करें कि ॐॐॐ मेरी स्मृतिशक्ति, निर्णयशक्ति का विकास हो रहा है। तो इनका विकास होता है। मानसिक तनाव  दूर होता है। मानसिक तनाव का मुख्य कारण है मलिन चित्तवृत्तियाँ। भगवान का नाम जपने से मलिन चित्तवृत्तियाँ भाग जाती हैं। घृणा, ईर्ष्या, मोह, लोभ, काम, अहंकार, चुगली, लिप्सा (कामना), परिग्रह (संग्रह) – इनसे तनाव होता है और ॐकार का उच्चारण करने से ये सारे तनाव भाग जाते हैं तथा सारी बीमारियों की जड़ें उखड़ जाती हैं।
  • लगता तो साधारण प्रयोग है लेकिन इतने सारे फायदे होते हैं कि डॉक्टरों की पकड़ में नहीं आते हैं। इससे मन की मलिनता भी दूर हो जाती है, अंतर्यामी प्रसन्न होते हैं और दिव्य शक्तियों का संचार होता है। (हस्त चिकित्सा की विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें आश्रम की पुस्तक आरोग्यनिधि, भाग -1 पृष्ठ 177)  

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Information

  • About Us
  • Contact Us
  • Our Products
  • What They Say
  • Press Coverage

Quicklink

  • Our Festivals
  • Idle Home
  • Our Wings
  • Our Products
  • Real Beauty

Visit

  • Sant Shri Asharamji Ashram
  • Baal Sanskar Kendra
  • Rishi Prasad
  • Yuva Sewa Sangh
  • Gurukul

Support

  • Sant Shri AsharamJi Mahila Utthan Ashram Motera, Sabarmati, Ahmedabad, Gujarat-380005
  • E-Mail: mum.prachar@gmail.com
  • Phone No: 9157306313, Whatsapp: 9157306313

Mahila Utthan Mandal

Copyright © [2020] By Mahila Utthan Mandal
| Privacy Statement | Terms Of Use

Facebook Twitter Instagram Telegram Envelope Whatsapp