
ब्रह्मवेत्ता महापुरुष पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का सम्पूर्ण जीवन प्राणिमात्र के कल्याण में रत रहा है ।
पूज्य बापूजी समाज के प्रत्येक वर्ग को उन्नत करने का राजमार्ग प्रश्स्त किया है, उन्होंने मानवमात्र को स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाई है और आरम्भ किया है मानवता के कल्याण का वो सेवायज्ञ जो 50 से भी अधिक वर्षों से अविरत चल रहा है ।
पूज्यश्री ने समाज के समक्ष आध्यात्म विज्ञान की विशेषता को उजागर किया है । इस दुर्लभ ज्ञान को सरल व सहज बनाकर अपने सत्संगों के माध्यम में जन-जन तक पहुँचाया है । लौकिक जीवन को अलौकिक बनाने की युक्तियाँ बताकर मानव जीवन का सच्चा उद्देश्य समझाया है ।
भारत विश्वगुरु के पद पर आसीन हो पूज्य बापूजी का यह महासंकल्प है । और इस संकल्प को साकार करने के लिए पूज्यश्री की प्रेरणा से मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी पूजन दिवस, बाल संस्कार केन्द्र, युवा सेवा संघ, व्यसन मुक्ति अभियान जैसे अनेकानेक दैवीय सेवाकार्य चल रहे हैं ।
बापूजी के सत्संग-सान्निध्य व मार्गदर्शन में अनगिनत युवतियों तथा महिलाओं ने अपना जीवन उन्नत किया है तथा अपने को ज्यादा सुरक्षित व सशक्त अनुभव किया है ।